सुबह के 8:00 बजे हैं, लक्ष्मी अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई है, उसे बहुत तेज बुखार है, उसका बदन बुखार से बुरी तरह तप रहा है, वह उठना तो चाहती है, लेकिन उसकी हिम्मत साथ नहीं देती है|
(तभी बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आती है| यह आवाज लक्ष्मी की सास सुनामी की होती है, जो कि घर की साफ सफाई ना होने के कारण गुस्से में होती है और लक्ष्मी को कोस रही होती है, और चिल्लाती हुई कमरे में आती है तो लक्ष्मी को लेटे हुए देखकर और भी क्रोध में आ जाती है और लात मारकर लक्ष्मी को बिस्तर से नीचे गिरा देती है| लक्ष्मी धीरे से उठती है और जमीन पर बैठ जाती है और तभी)
सुनामी:- उठ हरामजादी 12:00 बजे तक सोती रहेगी तो घर का काम क्या तेरा बाप करेगा, महारानी की तरह पड़ी हुई है|
लक्ष्मी:- मुझे बहुत तेज बुखार है मां जी, मैं आज काम नहीं कर सकती, प्लीज आज भर के लिए मुझे आराम कर लेने दीजिए, कल से सारा काम कर लूंगी मैं आपके पैर पड़ती हूं, मां जी प्लीज मुझे आराम कर लेने दीजिए|
सुनामी:- चल साली नखरे दिखाती है, आराम करने का मन हुआ तो बुखार का बहाना बनाती है, मैं तेरे बाप की नौकर नहीं हूं जो मैं काम करूंगी| काम कर वरना मार मार के कमर तोड़ दूंगी और अपाहिज बना कर तेरे मायके में फिकवा दूंगी|
लक्ष्मी:- मैं झूठ नहीं बोल रही हूं मां जी मुझे सच में बुखार है, अगर आपको विश्वास नहीं है तो आप मेरा बदन छू कर देख लीजिए|
सुनामी:- अगर बुखार है तो इसमें मैं क्या करूं, तेरे बाप ने इतना दहेज नहीं दिया कि मैं तुझे महारानी बना कर बैठा कर खिलाऊं|
लक्ष्मी:- (गुस्से में) बस कीजिए मां जी आपने मुझे जो भी कहा मैंने कुछ नहीं कहा लेकिन मेरे मरे हुए बापू के बारे में कुछ भी कहा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा|
सुनामी:- काम करने के लिए बीमार और बुखार है, लेकिन जुबान लड़ाने के लिए बीमार नहीं है तू, और क्यों ना कहूं तेरे बाप के बारे में, खुद तो मर गया और मरते मरते मुसीबत मेरे सिर पर मार कर चला गया|
लक्ष्मी:- (आवेश में) मैंने बहुत सुन ली आपकी, और आगे 1 शब्द भी नहीं, अभी तक आपने सिर्फ मेरी ममता का रूप देखा है........
(और तभी रंजीत(लक्ष्मी का पति) घर में प्रवेश करता है और शोर सुनकर उधर आता है)
रंजीत:- क्या बात है? मां कैसा शोर मचा रखा है सुबह-सुबह|
सुनामी:- (रोने का नाटक करते हुए) बेटा मैंने इससे काम करने को कहा, तो उसने कहा कि, मैं क्या तुम्हारे बाप की नौकर हूं, और आज तो मुझ पर हाथ उठाने की भी धमकी दी|
रंजीत:- क्या? तेरी इतनी हिम्मत कि तूने मां के साथ बदतमीजी की और तूने मेरी मां को मारने की धमकी दी|
लक्ष्मी:- नहीं मैंने कुछ नहीं कहा उल्टा उन्होंने ही मुझे मारा और गालियां दी, मुझे तो बुखार आ रहा है|
रंजीत:- बुखार है, और जुबान लड़ाने के लिए बुखार नहीं है, जो मां ने कहा चुपचाप करो, और जाओ मेरे लिए एक गिलास में शराब लेकर आओ|
लक्ष्मी:- शराब तो नहीं है, खत्म हो गई|
रंजीत:- साली पहले नहीं बोल सकती थी कि शराब खत्म हो गई है| (और खींच कर तमाचा मारता है लक्ष्मी लड़खड़ा कर गिर पड़ती है) कल रात को तो मैं पूरी बोतल छोड़ कर गया था, बोल रात को कौन पिया शराब, कहीं तेरा कोई यार तो नहीं आता घर में|
(और इतना कहकर लक्ष्मी को बेइंतहा बेइंतहा पीता है| लक्ष्मी बेचारी पिटती रहती है और कसमसा कर रह जाती है, क्योंकि यही तो है उसकी जिंदगी की सच्चाई और पूरी जिंदगी उसे इस बोझ को ढोना है, चाहे रो के चाहे हंस के, क्योंकि यही उसकी जिंदगी की हकीकत है)
क्रमश:.........